Monday 25 December 2017

स्कूलों के खेल के मैदानों को ख़त्म करने की नीति के विरोध में पत्र

यह पत्र लोक शिक्षक मंच ने निगम स्कूलों में मैदान को खत्म करने की नीति के विरोध में अध्यक्ष, शिक्षा समिति उत्तरी दिल्ली नगर निगम को दिया गया ।

Øe lañ लो॰शि॰मं॰/01/दिसम्बर/2017                                                         fnukad %20 दिसम्बर,2017                                                          

प्रति
   अध्यक्ष, शिक्षा समिति
   उत्तरी दिल्ली नगर निगम
   दिल्ली  

विषय: निगम स्कूलों के खेल के मैदानों को ख़त्म करने की नीति के विरोध में
महोदय,
      लोक शिक्षक मंच सार्वजनिक शिक्षा और शिक्षा के अधिकार के लिए प्रतिबद्ध शिक्षकों, विद्यार्थियों और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वालों का संगठन है। हम आपके समक्ष निगम स्कूलों व उनके विद्यार्थियों की एक गंभीर समस्या रखना चाहते हैं। ऐसा देखने में आ रहा है कि एक तरफ़ निगम के कई स्कूलों में खेल के मैदान की भी जगह नहीं है, वहीं न सिर्फ़ कई नए स्कूलों के प्रांगणों में सारी खुली जगह को कंक्रीट से पक्का रूप दिया जा रहा है बल्कि कई पुराने स्कूलों में मौजूद खेल के कच्चे मैदानों को भी टाइल्स या सीमेंट से पाटा जा रहा है। स्पष्ट है कि जब स्कूलों में खेल के कच्चे या घास के मैदान नहीं बचेंगे तो वहाँ पढ़ने वाले बच्चे कई तरह के खेल (उदाहरण के लिए, खो-खो व कबड्डी जैसे देशज खेल और कूद, दौड़ जैसे एथलेटिक खेल) खेलने से वंचित हो जायेंगे। फिर पक्के फ़र्श पर खेलने से बच्चों के चोटिल होने की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में जबकि हमारे शहर में बच्चों के खेलने की खुली व सुरक्षित जगहें लगातार सिकुड़ती जा रही हैं, हमारे स्कूलों के मैदान मेहनतकश तबक़ों के बच्चों के बचपन का सहारा हैं। विशेषकर छात्राओं के लिए उनके स्कूल के मैदान ही वो स्थल हैं जहाँ वो खुलकर खेल पाने के अवसर पाती हैं। निगम के स्कूलों में खेलकूद की एक गौरवशाली परंपरा रही है। निगम से पढ़े/निकले खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तरों तक निगम का नाम रौशन किया है, जिसमें ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं। खेल के मैदान ख़त्म करने से स्कूलों के इस सुंदर व अनिवार्य अंग पर विराम लग जाएगा।
देश की तमाम शिक्षा नीतियों, शिक्षाशास्त्र व सभी शिक्षाविदों के अनुसार भी मैदान व खेलकूद के बिना एक स्कूल की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि बच्चों के खेलकूद से उनके स्वास्थ्य व शिक्षा की बेहतरी का भी सीधा संबंध है। खेल बच्चों का अधिकार है, स्कूलों की पाठ्यचर्या का अभिन्न हिस्सा है और खुशहाल बचपन व सुंदर स्कूल के लिए एक अनिवार्य शर्त है।
उपरोक्त चिंताओं के अलावा, स्कूल के मैदानों/स्थलों को पक्का करना पर्यावरण की दृष्टि से भी विनाशकारी है। इससे जनता के बहुमूल्य संसाधनों का दोहन होगा, भूजल संकट बढ़ेगा, शहर के स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि होगी और स्कूल का वातावरण निर्जीव व कृत्रिम हो जाएगा। अंततः, इन सबका खामियाज़ा मासूम बच्चों को अपने स्वास्थ्य की बलि देकर भुगतना पड़ेगा।
इस संदर्भ में हम आपसे अपील करते हैं कि निगम के स्तर पर एक ठोस नीति का क्रियान्वयन करके यह सुनिश्चित करें कि सभी स्कूलों में खेल के लिए कच्चे मैदान उपलब्ध हों और किसी भी स्कूल में खेल के कच्चे मैदान को पक्का न किया जाए।          

सकारात्मक कदम की उम्मीद के साथ 

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